Sheetla Ashtami Vrat Katha 2024 शीतला अष्टमी कथा एवं आरती हिंदी में, Basoda Shitla Ashtami Aarti 2024 Hindi, Mata Sheetla Aarti Katha Hindi, Sheetla Ashtami Pujan
शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami 2024) का त्यौहार सर्दी ऋतु की समाप्ति पर एवं ग्रीष्म ऋतु के प्रारम्भ में प्रायः मार्च के महीने में मनाया जाता है| कुछ स्थान पर इस त्यौहार को बासोड़ा (Basoda) भी कहा जाता है| इस वर्ष भी यह त्यौहार मार्च 2024 को मनाया जायेगा। त्यौहार को मनाने के पीछे कई प्राचीन कथाये प्रचलित है। इस दिन माता शीतला (Mata Shitla) की पूजा अर्चना की जाती है| उन्ही में से एक कथा (Sheetla Ashtami Vrat Katha 2024 Hindi) आज हम आपके साथ यहां साझा करेंगे। जिससे की आप इस त्यौहार को अधिक उत्साह एवं हर्ष से मना सके। परन्तु इस सब से पहले जानना जरूरी है की क्या खास है इस त्यौहार को बारे में। तो आइये डालते है एक नजर माँ शीतला से जुड़े इस त्यौहार के कुछ रोचक तथ्यों पर- साथ ही आप इस पेज से चेक कर सकेंगे माँ शीतला आरती भी (Basoda Shitla Mata Aarti in Hindi)
Sheetla Ashtami 2024 Basoda Mata Shitla Pujan Aarti Vrat Katha
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होली के बाद मनाये जाने वाले इस त्यौहार Shitla Ashtami को सभी लोग ठंडा खाने खाते है। लोग प्रातः काल स्नान आदि करके माता शीतला (Sheetla Mata) का पूजन व्रत करते है। साथ ही माता को एक दिन पूर्व घर में बने शुद्ध ठंडे खाने का भोग लगाते है। भोग में लोग विभिन प्रकार के व्यंजन बनाते है जैसे की खिचड़ी, मीठे चावल, पुए, खीर आदि बनाये जाते है। इस दिन बासी खाना खाने के पीछे मान्यता है की माता शीतला (Mata Shitla Basoda Pujan) को भोग लगाने के बाद अब ठंडा (बासी) खाना बंद कर देना चाहिए। क्यूंकि त्यौहार के साथ ही ग्रीष्म ऋतु का आगमन हो जाता है एवं गर्मी के कारण खाना खराब होने लगता है। साथ ही Shitla Ashtami इस दिन के बाद लोग ठंडे पानी से नहाना भी बंद कर देते है।
Basoda Shitla Mata Vrat Katha 2024- Sheetla Ashtmi Katha Hindi
एक दिन बूढ़ी औरत और उसकी दो बहुओं ने शीतला माता (Sheetla Mata) का व्रत रखा. मान्यता के मुताबिक इस व्रत में बासी चावल चढ़ाए और खाए जाते हैं| लेकिन दोनों बहुओं ने सुबह ताज़ा खाना बना लिया| क्योंकि हाल ही में दोनों की संताने हुई थीं, इस वजह से दोनों को डर था कि बासी खाना उन्हें नुकसान ना पहुंचाए. सास को ताज़े खाने के बारे में पता चला तो वो बहुत नाराज़ हुई. कुछ क्षण ही गुज़रे थे, कि पता चला कि दोनों बहुओं की संतानों की अचानक मृत्यु हो गई. इस बात को जान सास ने दोनों बहुओं को घर से बाहर निकाल दिया.
शवों को लेकर दोनों बहुएं घर से निकल गईं. बीच रास्ते वो विश्राम के लिए रूकीं. वहां उन दोनों को दो बहनें ओरी और शीतला मिली. दोनों ही अपने सिर में जूंओं से परेशान थी. उन बहुओं को दोनों बहनों को ऐसे देख दया आई और वो दोनों के सिर को साफ करने लगीं. कुछ देर बाद दोनों बहनों को आराम मिला, आराम मिलते ही दोनों ने उन्हें आशार्वाद दिया और कहा कि तुम्हारी गोद हरी हो जाए.
ये बात सुन दोनों बुरी तरह रोने लगीं और उन्होंने महिला को अपने बच्चों के शव दिखाए. ये सब देख शीतला ने दोनों से कहा कि उन्हें उनके कर्मों का फल मिला है. ये बात सुन वो समझ गईं कि शीतला अष्टमी के दिन ताज़ा खाना बनाने की वजह से ऐसा हुआ.
ये सब जान दोनों ने माता शीतला से माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने को कहा. इसके बाद माता ने दोनों बच्चों को फिर से जीवित कर दिया. इस दिन के बाद से पूरे गांव में शीतला माता का व्रत धूमधाम से मनाए जाने लगा|
Sheetla Mata Aarti 2024 Shitla Ashtami Hindi Aarti
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता। जय शीतला माता…
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता। जय शीतला माता…
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता । जय शीतला माता…
इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता। जय शीतला माता…
घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता। जय शीतला माता…
ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता। जय शीतला माता…
जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता। जय शीतला माता…
रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता। जय शीतला माता…
बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता। जय शीतला माता…
शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता। जय शीतला माता…
दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता। जय शीतला माता…।
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